यज्ञ सम्बन्धी कुछ वैज्ञानिक तथ्य
1. यज्ञ करने पर आण्विकरण की क्रिया होती है और जिस प्रकार मिर्च के छोंक से धँसका होता है उसी तरह यज्ञाग्नि में स्वाहा होकर सामग्री रूपी औषधियां सूक्ष्म अणु बनकर शरीर मे प्रवेश लेकर प्रखर प्रभाव डालती हैं।
2. यज्ञाग्नि के औषधयुक्त धूम से आस-पास के क्षेत्र के कीटाणु, रोगाणु, विषाणु, परजीवी व अनुपयुक्त गैस समाप्त हो जाती हैं।
3. हमारे वेददृष्टा ऋषियों के अनुसार देसी गाय के कंडे पर मात्र 10 ग्राम शुद्ध घी से यज्ञ करने पर 10 लाख मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्माण होता है। यह जापान के वैज्ञानिकों ने भी शोध किया और सत्य पाया।
4. गायत्री मंत्र में 11,00000 HZ, freq की waves निकलती है। इतनी freq पर कोरोना से भी सूक्ष्म परजीवी, विषाणु, रोगाणु व कीटाणु आदि पूर्णतः निष्क्रिय हो जाते हैं।
5. एकोंकार या प्रणवोंकार के नाम से ज्ञात ॐ की freq 136.10 HZ है। अतः ओंकार का उच्चारण अर्थात् उद्गीत प्रणायम तनाव, निद्रा, रक्तचाप, भूख, पाचन और शारीरिक व मानसिक ऊर्जा को सुचारू करने की क्षमता रखता है।
यदि यज्ञ-स्थान पर उद्गीत (ॐ ध्वनि) व अन्य प्राणायाम किये जायें तो शरीर का प्रत्येक cell ऑक्सिजन से परिपूरित हो जाता है।
6. नवधातु का घण्टनाद और शंखध्वनि, किसी भी वायरस को निष्क्रिय करने में बहुत प्रभावशाली है। शंखनाद को हमारे योगऋषियों ने हृदय और फेफड़ों के लिए सर्वोत्तम व्यायाम भी माना है। अतः यज्ञ-स्थल पर हो सके तो घण्टनाद व शंखनाद करना चाहिए।
7. जब 1900 के दशक में भारत में प्लेग फैला, तो जहां भी यज्ञ होते थे वो स्थान सुरक्षित रहे।
8. जब भारत में 1994 में पहली बार डेंगू फैला था तब भी यज्ञ-स्थल सुरक्षित रहे थे।
9. भोपाल गैस कांड में कुशवाहा परिवार यज्ञ से ही जीवित बच पाया था। जैसे ही उन्हें प्राणघातक गैस का पता चला उन्होंने रात में उसी समय यज्ञ शुरू किया प्राणवायु और ऊर्जा से घर भर गया घातक वायु को स्थान ही नहीं मिला और प्राणरक्षा
हो पाई।
10. यज्ञ को वेदों ने गुप्तदान की श्रेणी में रखा है क्योंकि इससे आस-पास के मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी व वनस्पतियां भी सम्पुष्ट होती हैं और औषधीय बादल भी बनते हैं, परन्तु ना तो लाभ लेने वाले को पता चलता है ना ही देने वाले को। मात्र शुभता का विचार रहता है।
11. भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में भी यज्ञ की महिमा का उल्लेख किया है।
12. मात्र पांच गायत्री मंत्र से किये गए बलिवैश्वदेव यज्ञ में मात्र 3 से 5 मिनट ही लगते हैं, पर लाभ पूरा होता है।
यज्ञ एक वैज्ञानिक क्रिया है, दवाई खाने की ही तरह इसे स्नान भोजनादि से जोड़े बिना, यदि सूर्योदय व सूर्यास्त के समय ना भी हो पाए तो किसी और समय सुविधानुसार करिए। पर अपने व परिवार के अच्छे स्वास्थ्य व कुशलता के लिये करिए अवश्य ।
प्रभु सबका सभी प्रकार हित करें यही प्रार्थना है।
वातावरण की शुद्धि, स्वास्थ्य की समृद्धि, मन की विशुद्धि, रोगों का निराकरण, स्वार्थभावना का दूरीकरण, संगठन, देवपूजन, औदार्य एवं कृतज्ञता के संवर्धन का अमोघ उपाय है यज्ञ …
श्रीराम, श्रीकृष्ण, हमारे ऋषि मुनि राजा गण नित्य, बड़े बड़े यज्ञ किया करते थे…. हम नहीं करते… अगणित रोगों का प्रकोप इसीलिये हो रहा है, जीव हत्या हो रही है, कैसे हम सुखी रहेंगे???
सुखी रहना चाहते हो तो सनातन परम्परा की ओर लौटो… यज्ञ, आयुर्वेद की ओर लौटो.
मनीष
अतिसुन्दर, यज्ञ के वैज्ञानिक आधार को आसान शब्दों में समझाया गया है। अपार ज्ञान का भंडार आपने जनजागृति एवं जनहित में उड़ेल दिया है। नमन है आपको।